PT TRILOKI NATH MISHRA VIDHI MAHAVIDYALAYA
Affiliated with Pro Rajendra Singh(Rajju Bhaiya) University, PRAYAGRAJ
Address : DEIDEEH, DHAURAHARA, SARAI MADHAI, PATTI PRATAPGARH, UTTAR PRADESH
Affiliation code
01002
हमारा इतिहास
जमीन से जुड़े होने के कारण ग्रामीणों में सृजन की ऊर्जा होती है - अतः जाती, धर्म , एवं समाज के बन्धनों में जकड़े हुए ग्रामीण अंचल के नागरिकों विशेषकर हरिजन, गिरिजन, एवं सर्वहारा वर्ग के निर्धन छात्रों में नवचेतना का संचार करने के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपनी सांस्कृतिक विरासत के मूलरूप से परिचित करने के लिया उच्च शिक्षा प्रदान करने की दिशा में, इसी क्षेत्र के ही शिक्षाविद् समाजसेवी, प्रातः स्मरणीय, वादों के यायावरी वृत्ति की आपाधापी से परे, श्रद्धेय (स्व०) बाबु लक्ष्मी नारायण अग्रवाल जैसे कर्मयोगी द्वारा किया गया एक उपयोगी प्रयत्न है - 'श्री नाथ एजूकेशनल सोसाइटी, सिरसा- इलाहाबाद '| यमुनापार 'अ' तथा 'ब' की झोपडियों में रहने वाले लोगों के नयनों के नभ में, जागृति के मुक्ति बोधी शुक्रतारे की भाँति उदित , स्व० बाबू जी के जीवनादर्श - 'शीलमेकं - पदं सुखम् (चरित्र में ही सारी प्रसन्नता समाविष्ट हैं ) के पथ पर अग्रसरित इस संस्था का उददेश्य हैं - की छात्रों में श्रद्धायुक्त ज्ञान, संस्कृतियुक्त चरित्र, संस्कारयुक्त धर्म ओर विश्वशान्तियुक्त परस्पर सौहार्द की अभिवृद्धि करना तथा इस ग्रामीण क्षेत्र में, एक ऐसे प्रबुद्ध एवं जागरूक वर्ग का निर्माण करना|
जो जीवन की मौलिक सच्चाईयों से रूबरू होकर, वर्तमान के समूचे सामाजिक परिदृश्य की गहरी समालोचना करने में, सक्षम हो सके, और भारत की सामाजिक गतिविधियों की जरूरतों को पूरा करने में अपना भी योगदान दे सके | कलह, संघर्ष , घृणा एवं अहं के अंधकार में अपना 'दीप' प्रज्वलित करने के प्रयास में रत यह संस्था चालीस बीघा के विस्तृत क्षेत्र में प्रकृति के सुरम्य - शान्त वातावरण में, पवन गंगा एवं टोंस की संगम स्थली, ज्ञान एवं प्रज्ञा के उस तट पर अवस्थित है जहा कोई धर्म, कोई जाति, कोई पुस्तक, कोई जुबान हमें विभाजित न कर पाये, क्योकि हम सब की नियति एक है |
इसी संकल्पना को अधिकार मानकर बीसवीं शताब्दी के तीसरी दशक के बाबू लक्ष्मी नारायण अग्रवाल जी ने 2 अप्रैल सन् 1931 को 'श्री नाथ एजूकेशनल सोसाइटी के अन्तर्गत इंग्लिश मिडिल स्कूल के नाम से यह संस्था इसी अभिप्राय से खोली गयी थी की सिरसा तथा आस-पास के ग्रामो में रहने वाले बच्चों को आठवीं कक्षा तथा अंग्रेजी पढने की सुविधा प्राप्त हो जाये |जिसमे वे उच्चतर शिक्षा के लिए शहरों को जा सकें जहाँ निष्पक्ष रूप में राष्ट्रीय संकल्पना का निरूपण कर सकें, अपनी सांस्कृतिक अस्मिता की पहचान करने में सक्षम हो सकें | कौन जानता था की सन् 1931 की वह छोटी संस्था बढ़कर 'लाला राम लाल अग्रवाल इंटर कालेज ' (चारो संकाय में कला, वाणिज्य, विज्ञान एवं कृषि) एवं लाला लक्ष्मी नारायण डिग्री कालेज को मूर्तरूप देगी | स्व० श्री बाबू लक्ष्मी नारायण अग्रवाल जी की यह हार्दिक इच्छा थी कि उनके जीवनकाल में ही डिग्री कालेज कि स्थापना हो जाये | परन्तु ईश्वर को यह मंजूर न था | अतः उनके जीवन काल में डिग्री कालेज स्थापित न हो सका | योग्य पिता के योग्य पुत्र श्री ओंकारनाथ अग्रवाल जी ने अपने पिता के नाम पर 4 अक्टूबर 1971 को 'लाला लक्ष्मी नारायण डिग्री कालेज, सिरसा , इलाहाबाद कि स्थापना कि |
इलाहाबाद से 40 कि०मी दूर मेजारोड रेलवे स्टेशन (दिल्ली हावड़ा की मुख्य लाइन पर) तथा इलाहाबाद मिर्जापुर रोड से उत्तर में सिरसा रोड पर 5 कि०मी० की दूरी पर देव नदी गंगा के पावन एवं प्रकृति से सुरम्य तट पर यह महाविद्यालय स्थित है | इस महाविद्यालय के पास अपने विशाल भव्य भवन हैं | ये भवन तीन भागो में स्थित हैं, जो नार्थ ब्लाक ,साउथ ब्लाक एवं वेस्ट ब्लाक के नाम से जाने जाते है | नार्थ ब्लाक में विज्ञान संकाय , साउथ ब्लाक में कला संकाय तथा वेस्ट ब्लाक में शिक्षा संकाय का शिक्षण कार्य होता है | वेस्ट ब्लाक में ही छात्राओं हेतु कामन हाल एवं लिपिक हाल के लिए अलग भवन की स्थापना है इसके अतिरिक्त एक विशाल प्रशासनिक भवन भी हैं जो 2500 वर्ग फुट में निर्मित हैं | इस भवन में भव्य कान्फ्रेंस हॉल और मीटिंग हॉल भी हैं | इन भवनों के बीच में एक विशाल क्रीडांगन भी हैं | बी० एड०, बी० ए० एवं बि० एस० सी० में विषयवार अलग अलग है | ये प्रयोगशालाये एवं भवन पूर्ण रूप से फर्नीचरों, कम्प्यूटरों एवं आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित हैं | महाविद्यालय के पास अपना आवासीय परिसर, प्राचार्य आवास एवं छात्रावास भी है | महाविद्यालय के संस्थापक प्रबंधक, लोकपकारी, श्री ओंकारनाथ अग्रवाल जी के अथक प्रयास के फलस्वरूप महाविद्यालय विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अधिनियम 2 (f) एवं 12 (b) के अंतर्गत पंजीकृत है |
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